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|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
}}
[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>चराग़-ओ-आफ़्ताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी शबाब की नक़ाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
चराग़-ओ-आफ़्ताब मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गयी गिलास ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br>शबाब की नक़ाब शराब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br><br>
मुझे पिला रहे थे वो लिखा हुआ था जिस किताब में, कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गयी <br>इश्क़ तो हराम है गिलास ग़ुम शराब हुई वही किताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br><br>
लिखा हुआ था जिस किताब में, कि इश्क़ तो हराम है <br>हुई वही किताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br><br> लबों से लब जो मिल गये, लबों से लब जो सिल गये<br> सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br><br/poem>
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