भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
आवो हिन्दी पखवाड़ा मनाएँ, अपनी भाषा को ऊँचाईओं ऊँचाईयों तक पहुँचाएँ
हम सब करेंगे हिन्दी में ही राज काज, तभी मिल पायेगा सही सुराज
हिन्दी के सब गुण गावो, अपनी भाषा के प्रति आस्था दर्शाओ
जब करेंगे हम सब हिन्दी में बात, नहीं बढ़ेगा तब कोई विवाद|
हिन्दी तो है कविओं कवियों की बानी, इसमें पढ़ते नानी की कहानी
हम सबको है हिन्दी से प्यार, मत करो इस भाषा का तिरस्कार|
हम सब हिन्दी में ही बोलें, अपने मन की कुण्ठा खोजें
हम राष्ट्रगान हिन्दी में गाते, पूरे विश्व में तिरंगे की शान बढ़ाते|
हमारी भाषा ही है हमारे देश की स्वतंत्रता की प्रतिक प्रतीक
यह है संवैधानिक व्यवस्था में सटीक
हम सब भाबनात्मकता भावनात्मकता में है एक रखते है हम सब इसमे टेक
यह विकास की ओर ले जाती सबका है ज्ञान बढ़ाती|
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,131
edits