577 bytes added,
08:23, 16 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चतुर्भुजदास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
मनमोहन अद्भुत डोल बनी ।
तुम झूलो हों हरख झुलाऊं वृंदावन चंदधनी ॥१॥
परम विचित्र रच्यो विश्वकर्मा हीरा लाल मणी ।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधरन लाल छबि कापें जात गनी ॥२॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader