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12:25, 18 मई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विद्यापति
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तरुणि बयस मोही बीतल सजनी गे
पहुँ बीसरल मोहि नामे
कुसुम फूलि-फूलि मौललि सजनी गे
भमरा लेल
बिश्रा में
चानन बुझि हम रोपल सजनि गे
हिरदय कोरि थल देल
नयनहुँ नीर पटाओल सजनी गे
आखिर सिम्मर भेल
</poem>
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