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}}
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<poem>
कैरीबियाई सागर का सौंदर्य प्रतिनिधि
सेंट लूशिया द्वीप
जिसने जने
नोबेल पुरस्कार विजेता कवि डेरक वालकॉट
और अर्थशास्त्री
आकाश-अंग-वस्त्रम को
देह पर ओढ़े हुए
नीलिमा को जीता है
अपने वक्षाकाश में
सूर्य के स्वर्णिम स्वप्निल कशीदे
काढ़ता है नित्य अपने अंगरखे में
कैरीबियाई द्धीपों का
जल-जीवन-जनक-सागर
नील-मंजुषा-रत्ननिधि संपन्न
मौन ही रहता है आतुर
अपने विविधवर्णी असंख्य द्धीपों के प्रति
रुपहली-रेतीली शैय्या पर
सोये-जागे सागर के वक्ष भीतर
जीती तैरती रंगीन मछलियाँ
जल जन्नत की तितलियाँ
रंगों का पनीला सौंदर्य
आँखों से पीती
सौंदर्यप्रेमी गोताखोरों से
अभयजीती मछलियाँ
खेलती हैं उनकी हथेलियों से
और देह चूम हल्के से
तैर जाती हैं लहरों में
समुद्र का अंतरंग
उनका जलाकाश
तैरना ही उनकी उड़ान
कैरीबियाई द्वीप देश
रचते हैं अपने तरह की कैरब बीयर
कि जैसे सेंट लूसिया द्वीप
द्वीप से अधिक नशे और सौंदर्य की
मधुशाला हो
पर एक्बेरियम की मछलियाँ
पिंजड़ों की चिड़ियाँ
फड़फड़ाहट में
जीती हैं जो
अपनी उड़ान
हम सब की तरह।
</poem>
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कैरीबियाई सागर का सौंदर्य प्रतिनिधि
सेंट लूशिया द्वीप
जिसने जने
नोबेल पुरस्कार विजेता कवि डेरक वालकॉट
और अर्थशास्त्री
आकाश-अंग-वस्त्रम को
देह पर ओढ़े हुए
नीलिमा को जीता है
अपने वक्षाकाश में
सूर्य के स्वर्णिम स्वप्निल कशीदे
काढ़ता है नित्य अपने अंगरखे में
कैरीबियाई द्धीपों का
जल-जीवन-जनक-सागर
नील-मंजुषा-रत्ननिधि संपन्न
मौन ही रहता है आतुर
अपने विविधवर्णी असंख्य द्धीपों के प्रति
रुपहली-रेतीली शैय्या पर
सोये-जागे सागर के वक्ष भीतर
जीती तैरती रंगीन मछलियाँ
जल जन्नत की तितलियाँ
रंगों का पनीला सौंदर्य
आँखों से पीती
सौंदर्यप्रेमी गोताखोरों से
अभयजीती मछलियाँ
खेलती हैं उनकी हथेलियों से
और देह चूम हल्के से
तैर जाती हैं लहरों में
समुद्र का अंतरंग
उनका जलाकाश
तैरना ही उनकी उड़ान
कैरीबियाई द्वीप देश
रचते हैं अपने तरह की कैरब बीयर
कि जैसे सेंट लूसिया द्वीप
द्वीप से अधिक नशे और सौंदर्य की
मधुशाला हो
पर एक्बेरियम की मछलियाँ
पिंजड़ों की चिड़ियाँ
फड़फड़ाहट में
जीती हैं जो
अपनी उड़ान
हम सब की तरह।
</poem>