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{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= संस्कारपरक गीत / मैथिली लोकगीत
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>रामचन्द्र चलला पारण अम्मा सौं बिचारल रे
अम्मा हे हमहूँ तऽ जाइ छी मधुबन राज, सीता कोना राखब रे
जँओं सीता रहती मनमे राखब नयन मे रे
ललना रे, अंगनहि कुइयाँ खुनायब, सीताकेँ नहायब रे
बिना केओटकेँ नाओ कहाँ भसि जायत रे
बिना पुरुष के नारि कहाँ दिन काटत रे
ललना रे, बिना केओटकेँ नाओ गंगा भसि जायत रे
ललना रे, बिना पुरुष के नारी नइहर दिन काटत रे
फाटहु धरती कि हम तर जायब रे
ललना रे, नइहरक लोक अगुतायल, कि कखन सीता ओती रे
</poem>
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|संग्रह= संस्कारपरक गीत / मैथिली लोकगीत
}}
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<poem>रामचन्द्र चलला पारण अम्मा सौं बिचारल रे
अम्मा हे हमहूँ तऽ जाइ छी मधुबन राज, सीता कोना राखब रे
जँओं सीता रहती मनमे राखब नयन मे रे
ललना रे, अंगनहि कुइयाँ खुनायब, सीताकेँ नहायब रे
बिना केओटकेँ नाओ कहाँ भसि जायत रे
बिना पुरुष के नारि कहाँ दिन काटत रे
ललना रे, बिना केओटकेँ नाओ गंगा भसि जायत रे
ललना रे, बिना पुरुष के नारी नइहर दिन काटत रे
फाटहु धरती कि हम तर जायब रे
ललना रे, नइहरक लोक अगुतायल, कि कखन सीता ओती रे
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