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'''ग़ज़लें'''
* [[महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[ गगन का स्नेह पाते हैं, हवा का प्यार पाते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]