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Kavita Kosh से
लिखने वाले ने कुछ ऐसी दस्ताने-ग़म लिखी
पढ़ने वाले रो पड़े उसका दिल पर असर होने के बाद
सुब्ह दम सूरज की किरनो का असर भी खूब है
दर्दे-दिल थम सा गया कुछ कम हुआ है शब बसर रात भर होने के बाद
खुश हुआ दिल उन लबों पर इक तबस्सुम देखकर
हो गया जीने का सामाँ मिल गई मंज़िल 'रक़ीब'
दर तेरा पाया जबीं ने दर-बदर होने के बाद
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