1,011 bytes added,
09:24, 21 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
|अनुवादक=
|संग्रह=पद-रत्नाकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
(राग माँड़-ताल कहरवा)
जगमें मरकर, तुममें जीवन।
पान्नँ मैं, प्यारे जीवनधन!
लीला ललित चले अति शोभन।
बनूँ मैं सुन्दर लीलागार।
तुहारा हो पूरा अधिकार॥
रोना तजकर सदा हँसूँ मैं,
प्रेम-रज्जुसे तुम्हें कसूँ मैं,
तुममें ही, बस, नित्य बसूँ मैं,
सुखी हो मुझसे सब संसार।
तुहारे यशका हो विस्तार॥
</poem>