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<poem>
वह एक उजली नाव थी जो गहरे आसमान में तैर रही थी
चांदनी की झिलमिल पतवार लेकर कोई तारा उसे खे रहा था
आकाशगंगाएं गहरी नींद में थीं
अपनी सुदूर जमगग उपस्थिति से बेख़बर
रात इतनी चमकदार थी कि काला आईना बन गई थी
समय समय नहीं था एक सम्मोहन था जिसमें जड़ा हुआ था यह सारा दृश्य
यह प्रेम का पल था
जिसका जादू टूटा तो सारे आईने टूट गए।
</poem>
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वह एक उजली नाव थी जो गहरे आसमान में तैर रही थी
चांदनी की झिलमिल पतवार लेकर कोई तारा उसे खे रहा था
आकाशगंगाएं गहरी नींद में थीं
अपनी सुदूर जमगग उपस्थिति से बेख़बर
रात इतनी चमकदार थी कि काला आईना बन गई थी
समय समय नहीं था एक सम्मोहन था जिसमें जड़ा हुआ था यह सारा दृश्य
यह प्रेम का पल था
जिसका जादू टूटा तो सारे आईने टूट गए।
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