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15:43, 18 अक्टूबर 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रकाश
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<poem>
नाच एक बहता हुआ दरिया था
उसमें काँपते हुए तिनके को थामना कठिन था
काँपता हुआ तिनका दरिया का नाच था
दरिया के नाच को थामना कठिन था
दरिया को छूना नाचते हुए नाच को छूना था
नाच को छूना नाचते हुए दरिया को छूना था
दरिया के किनारे से नाच को देखना कठिन था
कि नाचते हुए दरिया और नाच में कूद जाना था!
</poem>