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शब्द ब्रह्म / किशोर काबरा

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|संग्रह = मै एक दर्पण हूँ / किशोर काबरा
}}
{{KKCatKavita}}शब्द <brpoem>शब्द सम्पत्ति है, <br>पूँजी है<br>उसे व्यर्थ मत जाने दो<br>चार की जगह दो को<br>अपनी बात सुनाने दो<br>जहाँ एक भी ज्यादा लगे<br>वहाँ <br>आधे से काम लो<br>जहाँ आधा भी ज्यादा लगे<br>वहाँ<br>उसके आधे पर विराम लगे<br>और फिर<br>संकेतों की भाषा<br>समझने दो लोगों को<br>फिर<br>मौन की परिभाषा<br>समझने दो लोगों को<br>ज्यों ज्यों तुम्हारा मौन <br>मुखर होता जाएगा<br>त्यों त्यों तुम्हारा शब्द<br>प्रखर होता जाएगा<br>शब्द ब्रह्म है जो मौन से प्राप्त होता है<br>मौन में जीता है<br>
और मौन में ही समाप्त होता है।
</poem>
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