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एक दिन / सुरेन्द्र रघुवंशी

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हम पहुंचेंगे पहुँचेंगे उन जगहों पर
जो कल्पनाओं में हमें बुलाती रहीं
और हमारी विवशताएँ हमें वहाँ जाने से रोकती रहीं
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