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दोहा / भाग 6 / तुलसीराम शर्मा ‘दिनेश’
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11:01, 31 दिसम्बर 2014
दाँत दिखा मत जगत को, पीस दुखों पर दाँत।
तृण धर हरि की शरण जा, कौन गिन सके
दाँत।।
दाँत।।60।।
</poem>
Sharda suman
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