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सुभाष काक / परिचय

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/* संस्कृति और दर्शन */
==संस्कृति और दर्शन==
वे भारतीय विद्या में निपुण और साहित्य, दर्शन, कला, एवं संस्कृति के सहृदय मर्मज्ञ हैं। उन्होंने वेदकाल का बहुत समय से लुप्त उन्होंने एक ज्योतिष ढूंढ निकाला है जिससे भारत की संस्कृति, विज्ञान, और कालक्रम पर नया प्रकाश पडता है। इनमें से सबसे रोचक १०८ है अंक१०८ की व्याख्या, जो जिसका भारतीय संस्कृति में बहुत आता प्राय: प्रयोग किया जाता है, की व्याख्या है। प्रमुख देवी-देवताओं के १०८ नाम हैं, जपमाला में १०८ दानेहैं, और कुल १०८ धाम माने गए हैं, आदि। इनके शोध ने दिखाया है कि वैदिक काल में यह ज्ञान माना जाता था कि सूर्य और चन्द्रमा पृथिवी से क्रमशः लगभग १०८ गुणा निजि व्यास की दूरी पर हैं। आधुनिक ज्योतिष ने तो यह भी दिखाया है कि सूर्य का व्यास पृथिवी के व्यास से लगभग १०८ गुणा है।<ref>सु. काक,Birth and Early Development of Indian Astronomy. [http://arxiv.org/abs/physics/0101063] In "Astronomy Across Cultures: The History of Non-Western Astronomy", Helaine Selin (editor), Kluwer Academic, Boston, 2000, pp. 303-340. </ref> पिण्ड और ब्रह्माण्ड के समीकरण के कारण मानव अपने अपनी व्यक्तिगत आध्यात्मिक यात्रा में भी इस संख्या को पाता है, यह वेद की धारणा है।<ref>सु. काक, ''ऋग्वेद का कूट-ज्योतिष'' (2000)</ref>
इस शोध का विद्वानों ने स्वागत किया है। अमेरिका के वेद पण्डित वामदेव शास्त्री ने इस शोध को ''स्मारकीय उपलब्धि (''monumental achievement'') कहा है।<ref>'दि एस्ट्रोनोमिकल कोड आफ दि ऋग्वेद' के जिल्द से, मुंशीराम मनोहारलाल, नई दिल्ली, २०००।</ref>
कनाडा के विख्यात आचार्य क्लास क्लास्टरमेयर के अनुसार, "मेरी मैं बहुत देर की समझ थी समय से यह समझता था कि ऋग्वेद में भाषाशास्त्र और इतिहास के परे भी बहुत कुछ था। है । ''यह है वह!''... यह एक युगान्तककारी खोज (''epoch-making discovery'') है।"<ref>'दि एस्ट्रोनोमिकल कोड आफ दि ऋग्वेद' के जिल्द से, मुंशीराम मनोहारलाल, नई दिल्ली, २०००।</ref>
उनका दार्शनिक दृष्टिकोण पुनर्गमनवाद से प्रेरित है, जिसके अनुसार विश्व में के प्रतिरूप विभिन्न अनुमाप अनुमापों में पुनरावृत, अथवा दोहरते, होते हैं या दोहराए जाते हैं, और कवि और तथा कलाकार इसीका इसी का चित्रण करते हैं। इसका प्रयोग कर उन्होंने भारतीय कला और संस्कृति की विवेचना की है।
<ref>सु. काक, [http://www.merufoundation.org/Kak-Ritual-Masks-Sacrifice.pdf रीति और यज्ञ]</ref>
<ref>सु. काक, [http://www.merufoundation.org/Kak-Early-Indian-Music.pdf संगीत]</ref> उनके अनुसार पुनर्गमन ही विश्व का समझना सम्भव करता है।
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