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{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
}}
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<poem>एक आदमी
एक दिन
अचानक शांत हो जाता है
शांत हो चुके
आदमी की घड़ी चलती रहती हे
मगर
उसके हिस्से का समय रुक जाता है
कि अचानक कहीं से
एक आदमी प्रकट होता है और
घड़ी के रुक जाने से पहले
उसे पहनकर चला जाता है
समय यूं ही चलता रहता है ।
</poem>
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<poem>एक आदमी
एक दिन
अचानक शांत हो जाता है
शांत हो चुके
आदमी की घड़ी चलती रहती हे
मगर
उसके हिस्से का समय रुक जाता है
कि अचानक कहीं से
एक आदमी प्रकट होता है और
घड़ी के रुक जाने से पहले
उसे पहनकर चला जाता है
समय यूं ही चलता रहता है ।
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