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{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>मुझको नहीं पहचाना क्या.
भूल गए याराना क्या.
इतनी जल्दी जाते हो,
इसको कहेंगे आना क्या.
दिल की बात न कह पाए,
ऐसा भी शरमाना क्या.
जब कहनी है सच्चाई,
तो फिर कोई बहाना क्या.
प्यार में डूबा वो बोला-
मै क्या है मैखाना क्या.
दर्द जो समझे उससे कहो,
सबसे रोना-गाना क्या.
पत्थर बोला-जाओ भी,
शीशे से टकराना क्या.
जलती नहीं जब कोई शमा,
आएगा परवाना क्या.
वो तो गिरा है नज़रों से,
उसको यार उठाना क्या.
दिल टूटे या ख्वाब कभी,
मुमकिन है जुड़ पाना क्या.
</poem>
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|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>मुझको नहीं पहचाना क्या.
भूल गए याराना क्या.
इतनी जल्दी जाते हो,
इसको कहेंगे आना क्या.
दिल की बात न कह पाए,
ऐसा भी शरमाना क्या.
जब कहनी है सच्चाई,
तो फिर कोई बहाना क्या.
प्यार में डूबा वो बोला-
मै क्या है मैखाना क्या.
दर्द जो समझे उससे कहो,
सबसे रोना-गाना क्या.
पत्थर बोला-जाओ भी,
शीशे से टकराना क्या.
जलती नहीं जब कोई शमा,
आएगा परवाना क्या.
वो तो गिरा है नज़रों से,
उसको यार उठाना क्या.
दिल टूटे या ख्वाब कभी,
मुमकिन है जुड़ पाना क्या.
</poem>