भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'.{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चाँद हादियाबादी }} [[Category:गज़ल]] <poem> ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
.{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चाँद हादियाबादी
}}
[[Category:गज़ल]]
<poem>

जिसने मुँह मे ज़बान रखी है
उसने अपनी ही ठान रखी है

यह तो जाएगी जाते-जाते ही
क्यों हथेली पे जान रखी है

साथ जिसने दिया है हर पल-छिन
उसने ही आन-बान रखी है

रोज़ मरतें हैं रोज़ जीते हैं
रौनके-दो जहान रखी है

ऐ फ़लक तू खुला है ख़ाली है
चाँद तारों ने शान रखी है