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21:29, 18 मई 2016 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=श्रीकांत वर्मा
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[[Category:कविता]]
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सुनो भई घुड़सवार, मगध किधर है
मगध से
आया हूँ
मगध
मुझे जाना है
किधर मुड़ूँ
उत्तर के दक्षिण
या पूर्व के पश्चिम
में?
लो, वह दिखाई पड़ा मगध,
लो, वह अदृश्य -
कल ही तो मगध मैंने
छोड़ा था
कल ही तो कहा था
मगधवासियों ने
मगध मत छोड़ो
मैंने दिया था वचन -
सूर्योदय के पहले
लौट आऊँगा
न मगध है, न मगध
तुम भी तो मगध को ढूँढ़ रहे हो
बंधुओ,
यह वह मगध नहीं
तुमने जिसे पढ़ा है
किताबों में,
यह वह मगध है
जिसे तुम
मेरी तरह गँवा
चुके हो।