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|रचनाकार=धीरेन्द्र
|संग्रह=करूणा भरल ई गीत हम्मर / धीरेन्द्र
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<poem>
अन्हर तूफान सावधान हम किए रहू ?
हम छी हवा कि आकाश छी हम,
छी धरती कि सृष्टिकेर विकास छी हम,
करेजक गप्प अपन किए कहू ??
कहै अछि लोक आएल बाढ़ि जोरक,
सुनल संसार आपाधारी आर होढ़क,
मोनक व्याथा-कथा हम किए कहू ??
लड़ब आ लड़बे सदा जानल अछि हम,
हो लोक वा कि भाग्य सदा रण ठानल अछि हम,
लहरि जँ सोर पाड़य किन्हेरेमे किए रहू ??
ई परिसर कि जकर छी हम बादशाह,
कि शाहंशाहे कलम छी हम,
आबओ कोनो रेड़ा तँ तैमे किए बहू ??
</poem>
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