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ग्राउंड ज़ीरो / नोमान शौक़

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|रचनाकार=नोमान शौक़
}}
{{KKCatNazm}}<poem>वहाँ भी होता है<br />एक रेगिस्तान<br />जहाँ किसी को दिखाई नहीं देती<br />उड़ती हुई रेत<br /> वहाँ भी होता है<br />एक दर्द<br />जहाँ तलाश नहीं किये जा सकते<br />चोट के निशान<br /> वहाँ भी होती है<br />एक रात<br />जहाँ जुर्म होता है<br />चांद की तरफ़ देखना भी<br /> वहाँ भी होती है<br />एक रौशनी<br />जहाँ पाबंदी होती है<br />पतंगों के आत्मदाह पर<br /> वहाँ भी होती है<br />एक दहशत<br />जहाँ अदब के साथ<br /> क़ातिलों से इजाज़त मांगनी होती है<br />
चीख़ने से पहले
 वहाँ भी होता है<br />एक शोक<br />जहाँ मोमबत्तियाँ तक नहीं होतीं<br />मरने वालों की याद में जलने<br />या जलाने के लिए<br /> वहाँ भी होता है<br />एक शून्य<br />जहाँ नहीं पहुँच पाते<br />टी० वी० के कैमरे।<br /poem>
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