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|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=राजस्थानीKKCatRajasthaniRachna}}<poem>चढ़ लाडा, चढ़ रे ऊँचे रो, देखाधूं थारो सासरो रेजांणे जाणें जोगीड़ो रा डेरा, ऐंडू के शार्रूं सासरो रे
चढ़ लाडा, चढ़ रे ऊँचे रो, देखाधूं थारो सासरो रे,<br>जांणे जाणें जोगीड़ो रा डेरा, ऐंडू के शार्रूं सासरो रे।<br>चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचो रो, देखांधू थारा सुसरा रे,<br>जाणें जाणें पड़गो रा वौरा, ऐड़ा रे थारा सुसरा रे।<br>रे चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रे देखांधू थारो सासरो रे,<br>जाणें जाणें पड़गा री "बोंरी' ऐड़ी तो थारी सासूजी रे।<br>रे चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रो, देखांधू थारो सासरो रे,<br>जाणें जाणें जोगीड़ा री छोरी, ऐड़ी तो थारी साली रे।रे</poem>