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सतगुरु सत उपकारि जिवन के, राखैं जिवन सुख चाह।
होइ दयाल जगत में आवैं, खोलैं चेतन सुख राह॥आगे.॥
परगट सतगुरु जग मंे में विराजैं, मेटयँ जिवन दुख दाह।बाबा देवी साहब जग मंे में कहावयँ, ‘मेँहीँ’ पर मेहर निगाह॥आगे.॥
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