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(ओ मर्त्य तन, तुम्हारी पकड़ सबल,
तुम्हारी पकड़ सबल है, ओ प्यार।)
 
'''1868'''
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : चन्द्रबली सिंह'''
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