भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
रुक पाया कब जीवन दुःख के टीलों पर <br>
स्याना मानुस ऊँची कुर्सी ओहदे को,<br>
शेर ग़ज़ल का जब भी अछ्छा होता है,<br>
उलझी बाते बातें सरल बयानी कहता है |<br><br>
इक शायर है "विजय" जो अपनी ग़ज़लों में,<br>
सब की जानी और पहचानी कहता है|