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113121बच्चाबंगाली के जिन्दगी, बूढ़ा, नवयुवक, आ नारी स्मार्टनित्यगीत-संगीतखूब निभाबै छै सभेखान-पान पारंपरिक, अपनों अपनों पार्टभाषा सें अति प्रीत
114122एक गुना बिल्डिंग बढ़ैस्वर्णाभूषण के चलन, चारगुना इंसानचूड़ी, कंगन हारमहानगर विस्तार मेंसंुदर लागै लेॅ करै, दोनो एक समानहर महिला श्रृंगार
115123अनुशासित छै लोग सबमर्द पराया केॅ रखै, नैं कचकच नैं मारजे मन में संजोयरिक्शा लेली भी यहाँकहियै भले विवाहिता, अक्सर लगै कतारपतिव्रता नै होय
116124कहीं खड़ा तों होय जा, क्यू नारी के लगै कतारजहाँ समय के माँग सौंदर्य छै, जिनगी में रफतारनिर्मल चरित, सुभावदुश्चरित्रा नारी छिकै, कार्बंकल रं घाव
117125जनसंख्या देखो यहाँ, भेलै जना पहाड़नारी उज्वल चरित के सगरो पूजल जायरुकतै आबे कहाँ परहुनकर श्रद्धा-प्रेम सें, इंसानो के बाढ़मोॅन कभी न अघाय
118126जनसंख्या विस्फोट मेंबेटी छिकै निमुहां धन, बढ़लो गेलै भीड़जाय पराया घोॅर बढ़ै रोजे मतर, कहाँ पुरै बापें खोजै छै नीड़तहीं, निक्को नाखी बोॅर
119127महानगर में घोॅर बात-बात पर नैंएना, मिलथौं केवल फ्लैटरहियो गाल फुलायबोली छै खिचड़ी यहाँबेटी जौं ऐन्हों करेॅ, बेसी दिस या दैटहोय छै हिनस्ताय
120128पानी जुगना धन बहै‘बाबा’ जौं बीबी राखियै, जिनगी छै उन्मुक्तजस टाटा स्टीलयहाँ तेॅ स्वेच्छाचारिताकाम-काज व्यवहार में, ही लागै उपयुक्तलगथौं जना वकील
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