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ना-रसा / बशर नवाज़

No change in size, 09:14, 14 जुलाई 2017
जो सितारा बन के दमक सके
मिरा मेरा ख़्वाब अब भी है नींद में मिरी मेरी नींद अब भी है मुंतज़िर
कि मैं वो करिश्मा दिखा सकूँ
कहीं फूल कोई खिला सकूँ
कहीं दीप कोई जला सकूँ </poem>
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