भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ब्रह्मपिशाच / रामनरेश पाठक

1,163 bytes added, 09:01, 9 सितम्बर 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश पाठक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामनरेश पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक खारे जल के पहाड़ ने
लील लिया
वह निस्पंद महानगर
कमरे में टंगे प्रेमिकाओं के चित्र
स्याह पंखों में बदल गए
सभी मेजो के कागज़ात औए दस्तावेज़
सोये बच्चों के सिरहाने
पतंग या वसीयत बन कर रखे गए
नारे और गुल और परचे
नहान घर में बह गए
वायलिने छिपकिली की लाश बनकर
पहाड़ में चस्पां हो गयी
मूर्तियाँ प्रेत बनकर उड़ गयी
और चुप बैठा रहा एक ब्रह्मपिशाच
अपनी खड़ाऊ की मग पर दृष्टि गड़ाए
गुम-सुम !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits