भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फागुन / रामनरेश पाठक

684 bytes added, 09:28, 9 सितम्बर 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश पाठक |अनुवादक= |संग्रह=शह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामनरेश पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=शहर छोड़ते हुए / रामनरेश पाठक
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मेरे चारों ओर गीत की जवान नदी बह रही है
सबेरे सबेरे मत जगाओ मुझे
तुम्हारे कुन्तलों से मधु की बूँदें टपक रही हैं
मेरे रक्त की ताँ पंचम पर है
देखो, मत उठाओ मुझे
फागुन आ गया है !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits