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 -: सरस्वती वंदना :- तेरे द्वारे आऊँ माँनितनित शीश नवाऊँ माँ
कुछ अपनी, कुछ जग बीती
दुनिया को बतलाऊँ माँ
गुलदस्ते मैं ग़ज़लों के गुलदस्ते मैंचरणों तक पहुँचाऊँ माँ
वाणी में बस जाना तुमगीत, ग़ज़ल जब गाऊँ माँ
मेरी अभिलाषा है ये तेरा सुत कहलाऊँ माँ
याद करे दुनिया जिससेऐसा कुछ कह जाऊँ माँ
लोग 'रक़ीब' समझते हैंक्या उनको समझाऊँ माँ --- सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
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