{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=लावण्या शाह}} रात कहती बात प्रियतम,<br>तुम भी हमारी बात सुन लो,<br>थक गये हो, जानती हूँ,<br>प्रेम के अधिकार गुन लो !<br>है रात की बेला सुहानी,<br>इस धरा पर हमारी,<br>नीँद से बोझिल हैँ नैना,<br>नमन मैँ प्रभु मनुज के!<br>रात कहती है कहानी,<br>थीस्वर्ग की शीतल कली,<br>छोड जिसको आ गये थे-<br>उस पुरानी - सखी की !<br>रात कहती बात प्रियतम !<br>तुम भी सुनो, मैँ भी सुनुँ !<br>हाथ का तकिया लगाये,<br>
पास मैँ लेटी रहूँ !