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जय मगधजननीजयति जयति मगध देस।जयति जगति मगध देश॥1॥(तर्ज झूमाड़)
सिन्धु मेखला वसुन्धराधिकार।सुन्दर बसुधाबोधिसत्व शान्तिपाठ सूत्रधार।मगध जननीसेलूकस के मान चूर करनिहार।(मोर) जलमधरनीमन के दे गड़ल विरोग के बिसार॥2॥जहां सुख देहे प्रकृति दिवस रजनी ॥1॥
हे संसार के सिंगारउत्तम धरनीकभिं इजोर कभिं अंधरमनोहरनीविपद से न जीउ हारबनी माधवनीअप्पन दीआ तनि नेस॥3॥से हो लाजे लजाय लखे अवनी ॥2॥
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