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नग्न तरुवर मैं हूँ नहीं / कविता भट्ट
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17:31, 1 मई 2018
जब तीखी हवाएँ हेरेंगी ।
मुक्त हूँ- जड़ बंधनों से
मैं हूँ
नर्म
सरस
होंठों की छुवन
दिव्य-प्रेम पथ की नर्तकी हूँ
थिरक-थिरक करती हूँ नर्तन।
वीरबाला
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