भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatHaryanaviRachna}}
<poem>
'''कन्या बोली ऋषि मेरे तै, करवाले नै ब्याह,''''''पेट मै करूंगी डेरा, बणकै तेरी मां ।। टेक ।।'''
मेरा-तेरा एक पिता, और माता एक सै,
'''हरियाणे की सन 1995 की एक सच्ची दास्ताँ'''
'''जमाने भोई बड़ी बलवान,''''''भोई अपणे बळ चालै तो, के करले इंसान ।। टेक ।।'''
95 के संन् मै आई, बाढ़ का सुणाऊं हाल,
'''(काव्य विविधा: अनु.-11)'''
'''बड़े-बड़े विद्वान ज्योतषी, होए ब्राहमण बेदाचारी,''''''बेद विधि आगे की जाणै, कोन्या पेट-पूजारी ।। टेक ।।'''
बृहस्पति गुरू देवताओं नै भी, ज्ञान सिखाया करते,
'''हरियाणे के परम्परा'''
'''चम्पा बाग जनाने मै, सारी झूलण नै चाली,''''''होए चमन-गुलजार, बाग मै छाई हरियाली ।। टेक ।।'''
सामण का महिना बेबे, उठै सै बदन मै लोर,
'''(सांग:15 ‘पिंगला-भरथरी’ अनु.-10)'''
'''शामिल जवाबः- चंद्रावल-गोपीचंद का । '''
'''कितका-कौण फकीर बता, बुझै चंद्रावल बाई,''''''भूल गई तू किस तरिया, गोपीचंद सै तेरा भाई ।। टेक ।।'''
गोपीचंद के नाना-नानी, सै कौण बता मेरे स्याहमी,
==बहरे तबील रचनाएँ==
'''सुणी आकाशवाणी, मेरी मौत बखाणी, ये सुणकै कहाणी, मेरा दुखी ब्रह्म,''''''हे ! देवकी डरूं, तुझे मार मरूं, पाछै बात करूं, तनै पहले खतम ।। टेक ।।'''
तुझे दूंगा जता, तेरी ये है खता, मुझे चलग्या पता, दुश्मन लेगा जन्म,
'''(सांग:3 ‘चमन ऋषि-सुकन्या’ अनु.-5)'''
'''गति कर्मा की न्यारी,जाणै या दुनिया सारी,कोए कंगला-भिखारी, कोए धनवान है, ''' '''माणस अज्ञानी, पड़ै विपता उठाणी, यो जिंदगानी का इम्तहान है ।। टेक ।।'''
किसे नै परिवार की, चिंत्या घरबार की, गरीब नै चिंत्या हो सै रोजगार की,
{{KKCatHaryanaviRachna}}
<poem>
'''बादशाह आलम, जहांपना मुगलेआज़म, मुजरा करूंगी सलावालेकम,''''''मेरी दुहाई, सुणो पनाह इलाही, नृत करने आई, मै चाहती हुकम ।। टेक ।।'''
परेशानी मेरी, दुख की कहानी मेरी, जिन्दगानी मेरी, म्यं आया भूकम,
'''1-संगीताचार्य दृष्टिकोण'''
'''सभी राग चालकै गा दूंगी, राजा के दरबार मै,''''''गाणे और बजाणे आली, नाचूं सरे बजार मै ।। टेक ।।'''
मालकोष हिण्डोला भैरू, श्रीराग दीपक मल्हार,
'''(सांग:14 ‘चापसिंह-सोमवती’ अनु.-26)'''
'''कई किस्म के नाच बताएं, ना बेरा नाचण आली नै,''''''गावण के घर दूर बावली, देख अवस्था बाली नै ।। टेक ।।'''
नटबाजी-नटकला बांस पै, तनै डोलणा आवै ना,
'''2-भौगोलिक/खगोलीय दृष्टिकोण'''
'''धुर की सैर कराऊं, बैठकै चालै तो म्हारे विमान मै,''''''फिरै एकली सुकन्या, क्यूं जंगल बीयाबान मै ।। टेक ।।'''
सुमेरूं कैलाश देखिऐ, जड़ै शिवजी-पार्वती सै,
'''3-नारी दृष्टिकोण'''
'''होए बीर कै असूर-देवता, और मनुष देहधारी,''''''बीर नाम पृथ्वी का, जिसपै रचि सृष्टि सारी ।। टेक ।।'''
बेदवती-बेमाता भोई, शक्ति बीर बताई,
'''(सांग:6 ‘सारंगापरी’ अनु.-17)'''
'''भीड़ पड़ी मै नहीं किसे का, दिया साथ लुगाईयां नै, ''' '''बड़े-बड़े चक्कर मै गेरे, कर मुलाकात लुगाईयां नै ।। टेक ।।'''
तिर्णाबिंदु राजकुमारी से, पुलस्त के मन फिरे अक ना,
'''5-प्रमाणिक दृष्टिकोण'''
'''जवाब:- राजा शुद्धोधन का छोटी रानी गौतमी से । '''
'''महाराणी गई छोड़ कवंर नै, चाला करगी,''''''तू पाळ गौतमी इसका, राम रूखाला करगी ।। टेक ।।'''
ब्रहमा बोले शक्ति से, नाता जोड़ो शिवजी संग,
'''(सांग:1 ‘महात्मा बुद्ध’ अनु.-11)'''
'''शुक्र भेज दरगाह मै, माता भली करै भगवान,''''''जीऊंगा तै फेर मिलुंगा, 12 साल मै आण ।। टेक ।।'''
उतानपात कै दो राणी थी, दो ब्याह करवाए,
'''(सांग:2 ‘श्री गंगामाई’ अनु.-24)'''
'''मात-पिता गुरू-संत की, सेवा सुबह-शाम करदे सै,''''''पूत-सुपात्र चतुर-लुगाई, उड़ै मौज राम करदे सै ।। टेक ।।'''
श्रवण की चम्पक बीर नै, एक हान्डी मै दो पेट बणाये,
'''(सांग:6 ‘सारंगापरी’ अनु.-4)'''
'''अठाईस गोत ब्राहम्ण सारे, ध्यान उरै नै करणा सै,''''''गृहस्थ आश्रम पति-पत्नी का, धर्म सनातन बरणा सै ।। टेक ।।'''
सतयुग मै 56 शासन, त्रेता में एक-सौ तीन होए,
==गंगा-महिमा==
'''पवन पवित्र बहता पाणी, आठो याम रहै चलता,''''''परमगती से भारत के म्हां, गंगे धाम रहै चलता ।। टेक ।।'''
विष्णु के चरण से निकली गंगा, ज्योतिष बेद-विधि का सार,