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कविता कोश के बारह वर्ष

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* अशोक शुक्ल (3756 पन्नें)
* नीरज दइया (3045 पन्नें)
 
====कविता कोश कैलेण्डर====
कविता कोश के स्वयंसेवकों ने वर्ष 2018 के लिए एक कैलेण्डर तैयार किया। हिन्दी साहित्य के बारे में शायद आज तक ऐसा भव्य कैलेण्डर नहीं बना है। दीवार और टेबल के लिए बने इस कैलेण्डर को सभी ओर से खूब प्रशंसा मिली। हज़ारों लोगों ने इस कैलेण्डर को लिया और इसके बदले कोश को सहायता राशि दी। "हिन्दी काव्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर" शीर्षक से बने इस कैलेण्डर के बारह पन्नों पर बारह हिन्दी कवियों के चित्र और उनकी चुनी काव्य पंक्तियाँ दी गई हैं। यह कैलेण्डर देश के सभी भागों के अलावा विदेशों तक भी पहुँचा और स्वयंसेवकों की इस कोशिश को लोगों ने खूब सराहा।
 
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====गीत गुनगुनाएँ फिर से====
राहुल शिवाय द्वारा सम्पादन और कुमार अमित के बनाए कवर से सजा गीत संकलन "गीत गुनगुनाएँ फिर से" भी इस वर्ष प्रकाशित किया गया। नए काव्य रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कविता कोश द्वारा प्रकाशित इस संकलन वरिष्ठ और नवोदित 80 गीतकारों को स्थान दिया गया है।
 
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====नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2018 में भागीदारी====
कविता कोश ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2018 में भागीदारी करते हुए एक स्टॉल स्थापित किया। इस स्टॉल पर कैलेण्डर और गीत संकलन उपलब्ध रहे। यह स्टॉल कविता कोश के बारे में लोगों को जानकारी देने का एक उत्तम साधन सिद्ध हुआ।
 
====="चाँद का मुँह टेढ़ा है"=====
कविता कोश ने विश्व पुस्तक मेले में 7 जनवरी को 4:15 बजे मुक्तिबोध के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक चर्चा आयोजित की। इस चर्चा में [[लीलाधर मंडलोई|लीलाधर मंडलोई जी]], [[मदन कश्यप|मदन कश्यप जी]], [[सुमन केशरी|सुमन केशरी जी]] और [[अशोक कुमार पाण्डेय|अशोक कुमार पाण्डेय जी]] ने भाग लिया। चर्चा का संचालन सईद अय्यूब ने किया।
 
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=====कविता कोश लोकरंग=====
कविता कोश सभी भाषाओं के काव्य का एक महासागर है... विभिन्न भाषाओं के प्रति अनुराग रखने वाले स्वयंसेवक कविता कोश के विभिन्न भाषा विभागों को परिवर्धित करते हैं। स्वयंसेवकों के इस श्रम को रेखांकित करने के लिए हम बहुत समय से एक कार्यक्रम करना चाहते थे जिसमें विभिन्न भाषाओं के गीतों की मिठास को एक साथ घोला जा सके।
 
इसी दिशा में एक छोटा-सा कदम बढ़ाते हुए हमनें विश्व पुस्तक मेले के दौरान "लोकरंग" नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के गीतों/कविताओं का सस्वर पाठ किया गया। इसमें राजस्थानी, हरियाणवी, अंगिका, मैथिली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बज्जिका, पंजाबी और अवधी की रचनाओं का पाठ हुआ।
 
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