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<poem>
वह भी सांसद हो गया
विधायक हो गया
मंत्री बन गया
मज़दूरों का नेता बन गया
अरबपति-खरबपति बन गया
पचास देशों की यात्राएं कर गया

महान लेखक हो गया
महान संपादक हो गया
विमर्शों का केंद्र बन गया
कोर्सों में पढ़ाया जाने लगा
पुरस्कारों-सम्मानों का अम्बार लगा गया
अपने नाम से चेयर (पीठ) बना गया

वह सब कुछ हो गया
लेकिन इंसान नहीं हो पाया

इंसान बनंना
कितना कठिन होता जा रहा है!
</poem>