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गोपालदास "नीरज" / परिचय

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पद्मश्री '''गोपालदास नीरज''' (जन्म 8 फरवरी 1926, ग्राम: पुरावली, इटावा, उत्तर प्रदेश ), कालेज मे अध्यापन, मंच पर कविता-वाचन और चित्रपट के लिये गीत रचना में लोकप्रियता ।
नीरज जी से हिन्दी संसार अच्छी तरह परिचित है किन्तु फिर भी उनका काव्यात्मक व्यक्तित्व आज सबसे अधिक विवादास्पद है। जन समाज की दृष्टि में वह मानव प्रेम के अन्यतम गायक हैं। 'भदन्त आनन्द कौसल्यानन' के शब्दों में उनमें हिन्दी का अश्वघोष बनने की क्षमता है। दिनकर के अनुसार वे हिन्दी की वीणा हैं। अन्य भाषा-भाषियों के विचार में वे 'सन्त-कवि' हैं और कुछ आलोचक उन्हें 'निराश-मृत्युवादी' मानते हैं। वर्तमान समय में सर्वाधिक लोकप्रिय और लाड़ले कवि हैं जिन्होंने अपनी मर्मस्पर्शी काव्यानुभूति तथा सरल भाषा द्वारा हिन्दी कविता को एक नया मोड़ दिया है और बच्चन जी के बाद नयी पीढी को सर्वाधिक प्रभावित किया है। आज अनेक गीतकारों के कण्ठ में उन्हीं की अनुगूँज है।
 
==प्रमुख कविता संग्रह==
* '''दर्द दिया'''
* '''प्राणगीत'''
* '''आसावरी'''
* ''बादर बरस गयो'''
* '''दो गीत'''
* '''नदी किनारे'''
* '''संघर्ष'''
* '''विभावरी'''
* '''नीरज की पाती'''
* '''लहर पुकारे'''
* '''मुक्तकी'''
* '''गीत भी अगीत भी'''