भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
मा-मरूभोम
{{KKBR}}
होठ हिलाऊं
पण गीत तो गावै
कोई दूजो ई
{{KKBR}}
मिनख खोलै
सै ई आडा घरां रा
पण मनां रा
</poem>