भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम न मरब / विजय कुमार

6 bytes added, 14:16, 29 अक्टूबर 2018
और सब माथे पर लिखा है
हजारों हज़ारों वॉट की दूधिया रोशनी में नहाए स्टेडियमों में
क्रिकेट मैच हो रहे थे
एक उन्मत्त भीड़ थी
सर्द रात में बाहर फ्लाईओवरों फ़्लाईओवरों के नीचे रात ग्यारह बजे
भूखे बच्चे ठिठुर रहे थे
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits