Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विजयशंकर चतुर्वेदी |अनुवादक=|संग्रह=पृथ्वी के लिए तो रूको / विजयशंकर चतुर्वेदी}}{{KKCatKavita}} <poem>किसी को नहीं रहता याद
कहाँ गिरा था वह पहली बार धरती पर
 
कहाँ जना गया
किस ठौर पड़ी कटी थी उसकी सोबतनाल
आसान नहीं है सर्वज्ञों के लिए भी यह जान लेना
कि क्यों पैदा होता है कोई?
कितने ईसा
कितने बुद्ध
 
कितने राम
कितने रहमान
 
कितने फुटपाथ
कितने अस्पताल
 
कितने रसोईघर
कितने मैदान
 
कितने महल
कितने अस्तबल
कौन पार पा सकता है जच्चाघरों से?
कैसे बता सकती हैं खानाबदोश ख़ानाबदोश जातियाँकिस तंबू किन-किन तम्बुओं में जनी गयीं गईं वे किस देसघाट-घाट का पानी पीकरकैसे चली आई आईं अयोध्या तक...? </poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,286
edits