Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजराजेश्वरी देवी ‘नलिनी’ |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजराजेश्वरी देवी ‘नलिनी’
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}

<poem>

अभ्यन्तर के निभृत प्रान्त में, प्राणों की सरिता के कूल।
खूब वेदने बाल! खेल, नयनों से बिखरा आँसू-फूल॥

आज हमारे प्रणय-जगत् में सजनि तुम्हारा है आह्वान।
है आराध्य-अभाव यहाँ तू, आ अभाव की मूर्ति महान॥

मृदुल हृदय परिरम्भण कर तू, कर सहर्ष हे सजनि विहार।
जीवन के उजड़े निकुंज में, भर दे निज वैभव का भार॥

अरी! चयन कर ले अंचल में, सुभग साधना-कुसुम पराग!
चपल चरण से कुचल मसल कर, गा तू अपना तीखा राग॥


</poem>
761
edits