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|रचनाकार=मधु शर्मा
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}}
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<poem>
कहाँ जुड़े हैं कथा के सिरे
खोज कर बूढ़ा
शुरू करता है एक नयी कथा,
कथा के बीच
पक रहा है भात
भात के पकने तक चलेगी कथा
कथा के बीच
उठती रहेगी एक असंभव याद
भात के पकने की
इस लगातार की कथा से थकी तब
पूछेगी नन्हीं ऊब
”कब तक पकेगा भात?“
</poem>
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कहाँ जुड़े हैं कथा के सिरे
खोज कर बूढ़ा
शुरू करता है एक नयी कथा,
कथा के बीच
पक रहा है भात
भात के पकने तक चलेगी कथा
कथा के बीच
उठती रहेगी एक असंभव याद
भात के पकने की
इस लगातार की कथा से थकी तब
पूछेगी नन्हीं ऊब
”कब तक पकेगा भात?“
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