भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[देखें तमाम ज़ुल्म व सितम कुछ नहीं कहें / राज़िक़ अंसारी]]
*[[कुछ देर आंसुओ रहो मेहमान अभी और / राज़िक़ अंसारी]]
*[[सोए है हैं सब बे ख़बर किस काम का / राज़िक़ अंसारी]]
*[[क्यों करे हल सवाल और कोई / राज़िक़ अंसारी]]
*[[मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है / राज़िक़ अंसारी]]