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10:45, 8 फ़रवरी 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विशाल समर्पित
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<poem>
जब कभी
तुम याद आये
वेदना के गीत गाये
क्या लिखूँ तुम पर बताओ
व्यंजना के भाव छिछले
आँख रोना चाहती पर
आँख से आँसू न निकले
आज मेरे
मन नगर में
याद के फिर मेघ छाये... (1)
व्योम के अनगिन सितारों
में तुम्हें मैं खोजता हूँ
बंद करके आँख अपनी
जब कभी भी सोचता हूँ
तुम नज़र
आते मुझे प्रिय
आज भी पलकें झुकाये... (2)
तुम नहीं हो पास मेरे
पर तुम्हारी रिक्तता है
जा चुके हो दूर इतना
अब न लौटोगे पता है
किंतु फिर
भी बाबरा मन
बोझ यादों का उठाये... (3)
</poem>
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