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मैं पुकारता हूँ कि ग़ौर करो / गुन्नार एकिलोफ़
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|संग्रह=मुश्किल से खुली एक खिड़की / गुन्नार एकिलोफ़
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मैं पुकारता हूँ कि ग़ौर करो
ताकि कोई खड़ा नहीं हो हम दोनों के बीच ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधीर सक्सेना'''
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अनिल जनविजय
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