Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सन्नी गुप्ता 'मदन' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सन्नी गुप्ता 'मदन'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatAwadhiRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
का हो केस रोबियात हया।

चलत हया दुइये गोड़े से
देखत बाट्या एक बराबर
अगर हया तू वैद्यनाथ तो
हमहू हईं ब्रांड मा डाबर।

माना खात हइ हम रोटी
का तू पाथर खात हया।।

का हो केस रोबियात हया।

केतनो ज्यादा ऐंठ-गोइठ ल्या
बिना जरे छुट्टी न पइबा
मिले हरेरै बांस तुहू का
सोने से तू लदा न जइबा

तोहसे केहू न मागत बाटै
केतनौ भले कमात हया।

का हो केस रोबियात हया।

तोहरे गाड़ी बाय अगर तौ
हमरे पास केरावा बाटै
करत बाय सबही अपने भर
केहू न केहुक तलुवा चाटै

सुनत हइ चुपचाप बइठ कै
तू बढ़ि-बढ़ि बतियात हया।

का हो केस रोबियात हया।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits