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मुझे बाहर निकलने दो / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
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11:25, 6 मार्च 2019
पड़ा मैं बन्द जीवन में, मुझे बाहर निकलने दो ।
निकलने क्यों न दोगे ?
तोदअ डालू‘ंगा
तोड़ डालूँगा
सभी बन्धन
न बन्दिश में रहेगा हथकड़ी-बेड़ी-कसा यह तन ।
मुझे जनता बुलाती है, बुलाता काल-परिवर्तन
अनिल जनविजय
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