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|रचनाकार= कुमार मुकुल
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<poem>
इ दुनिया जहान
कइसे बनल
के बनवलक एकरा के
इ सब त
एकरा बनावे ओला के
पाता होई
कि जाने उनको
कुछो पाता बा
कि ना बा ॥7॥

इयं विसृष्टिर्यत आबभूव यदि वा दधे यदि वा न।
यो अस्याध्यक्षः परमे व्योमन्त्सो अंग वेद यदि वा न वेद ॥7॥

</poem>
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