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हमहीं मित्र आउर वरूण के धारण करींला।
इंदर देवता, अगिन देव आउर अश्वनि देवन के
हमहीं धारण करींला।करींला॥1॥
अहं रुद्रेभिर्वसुभिश्चराम्यहमादित्यैरुत विश्वदेवैः ।