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/* कुछ प्रतिनिधि ग़ज़लें */
* [[इस भीड़ में वो याद पुरानी भी कहीं है / रवि सिन्हा]]
* [[दुनिया समझ से बाहर मसले नहीं पकड़ में / रवि सिन्हा]]
* [[शाइस्तगी को बीच की दीवार करोगे / रवि सिन्हा]]